15 Places to Visit In Gwalior

1. Gwaliior Fort
ग्वालियर का शानदार किला पांचवीं से छठवीं शताब्दी के बीच बनाया गया था। गोपाचल पर्वत पर लाल बलुए पत्थर से तैयार यह किला शहर के हरेक कोने से नजर आता है। इतिहासकारों के मुताबिक किले पर राजपूताना, मुगलकालीन और अंग्रेज आर्किटेक्चर नजर आता है। इस किले पर कछवाहा राजपूत, परिहार, तोमर, मुगल, जाट, सिंधिया मराठा, अंग्रेजों ने शासन किया है। बाबर ने इस किले को देखकर इसे भारत के किलों के हार में जड़े मोती की संज्ञा दी थी। यहां नौवीं शताब्दी में राजा मानसिंह से मान मंदिर महल का निर्माण कराया था। इस किले तक पहुंचने के लिये दो रास्ते हैं। एक 'ढोंढापोर गेट' कहलाता है। इस रास्ते सिर्फ पैदल चढ़ा जा सकता है। गाडियां 'उरवाई गेट' नामक रास्ते से चढ़ सकती हैं और यहां एक बेहद ऊंची चढ़ाई वाली पतली सड़क से होकर जाना होता है। इस किले के भीतरी हिस्सों में मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूने स्थित हैं।
Famous For: Architecture
Location: Gwalior, Madhya Pradesh
Timings: 6AM to 5:30PM every day
Entry fee: INR 75/adult for Indians; INR 250/adult for foreign nationals.
2. Sas Bahu Mandir
इस मंदिर को मूल रूप से सहस्त्रबाहु मंदिर के रूप में नामित किया गया था, जो भगवान विष्णु के हजार हाथ वाले रूप के तौर पर जाने जाते हैं। समय बीतने के साथ ही सहस्त्रबाहु का अपभ्रंश होकर इसे सास-बहू मंदिर कहा जाने लगा। इस मंदिर का निर्माण कच्छपघाट वंश के राजा महिपाल के शासनकाल में हुआ था। इस मंदिर की जटिल बनावट और त्रुटिहीन नक्काशी के लिए भी प्रशंसा की जाती है। यह 11वीं शताब्दी का मंदिर परिसर है, जिसमें भगवान विष्णु को समर्पित बड़ा मंदिर और भगवान शिव का मंदिर छोटा है। बलुआ पत्थर में नक्काशीदार जुड़वां मंदिर असाधारण वास्तुकला सुंदरता का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं। एडिफ़िस, स्तंभों के साथ-साथ गुंबद का विस्तार और शिल्प कौशल आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। प्रवेश द्वार पर ब्रह्मा, विष्णु, शिव और देवी सरस्वती की चार मूर्तियां कई दीवारों पर सुशोभित हैं। यह ग्वालियर के सबसे दिलचस्प मंदिरों में से एक है।
Famous For: Architecture
Location: Located in Gwalior Fort
Timings: 6AM to 5:30PM
Entry fee: INR 15 for Indians; INR 200 for foreign nationals.
3. Jai Vilas Palace
यह आलीशान महल ग्वालियर में सिंधिया राजपरिवार के निवास स्थल के अलावा राजसी ठाठ-बाट दर्शाने वाले संग्रहालय के रूप में भी चर्चित है। 75 एकड़ में फैले इस महल का निर्माण सन् 1874 में किया गया था। बताया जाता है कि उस समय इस महल के निर्माण में एक करोड़ रुपए की लागत आई थी। अब इसकी कीमत लगभग चार हजार करोड़ रुपए से अधिक है। इस महल को यूरोपियन आर्किटेक्चर के आधार पर बनाया गया है। इसे नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित सर माइकल फिलोसे ने तैयार किया था। इसमें 400 से अधिक कमरे हैं। इनमें से 35 कमरों को म्यूजियम के रूप में तब्दील कर दिया गया है। इस महल का प्रसिद्ध दरबार हॉल सिंधिया घराने के भव्य अतीत का गवाह है। यहां लगे हुए दो फानूसों का भार दो-दो टन का है। कहते हैं इन्हें तब टांगा गया, जब दस हाथियों को छत पर चढा कर छत की मजबूती मापी गई। इस संग्रहालय की एक और फेमस चीज है चांदी की रेल। इसकी पटरियां डाइनिंग टेबल पर लगी हैं और विशिष्ट दावतों में यह रेल पेय परोसती चलती है।
Famous For: Enormous collections
Location: Lashkar, Gwalior
Timings: 10AM to 4:30PM Closed on certain public holidays.
Entry fee: INR 150 for Indians; INR 800 for foreign nationals.
4. Gopachal Parvat
गोपाचल पर्वत जैन समुदाय की पुरानी प्रतिमाओं का गवाह है। यह मूर्तियां किले के दक्षिण की ओर स्थित हैं। ये मूर्तियां पहाड़ काटकर उकेरी गई हैं और कई मूर्तियां सातवीं से 15वीं शताब्दी के बीच की हैं। इन मूर्तियों में जैन तीर्थंकरों को बैठे, खड़े और ध्यान की मुद्राओं में दर्शाया गया है। यहां 24 जैन तीर्थंकरों की आश्चर्यजनक रॉक-कट मूर्तियां हैं।
Famous For: Rock-cut Jain monuments, Magnificent statues
Location: Phulbagh Rd, Gopachal Marg, Lashkar, Gwalior
Timings: 6 AM – 7 PM
Entry fee: No entry fee
5. Gujari Mahal
अपनी प्रिय पत्नी मृगनयनी के लिए राजा मानसिंह तोमर द्वारा निर्मित गूजरी महल अब पुरातात्विक संग्रहालय का घर है, जिसमें कलाकृतियों और मूर्तियों का एक संग्रह है। प्रभावशाली प्रवेश द्वार पर पौराणिक मानव-शेर की आकृतियां हैं और संग्रहालय में रखी शालभंजिका में इंडियन मोनालिसा भी दिखाई देती है। यहां गुप्त कला (वराह अवतार प्रतिमा) से जुड़ी मूर्तियां, संग्रहालय ऐतिहासिक कृतियों का खजाना है। गूजरी महल स्थापत्य प्रतिभा का एक आदर्श उदाहरण है, जो 15 वीं शताब्दी की है। इसका निर्माण ग्वालियर किले के परिसर में राजा मान सिंह द्वारा किया गया था, जिससे यह किले की दीवारों के भीतर लगे छह महलों में से एक है।
Famous For: Artefacts, sculptures and Ancient Unique thing
Location: Lohamandi, Gwalior
Timings: 10AM to 5PM, Tuesday to Sunday.
Entry Fee: INR10 for Indians; INR 100 for foreign nationals.
6. Tansen Tomb
तानसेन का मकबरा जो तानसेन स्मारक के रूप में प्रसिद्ध है, ग्वालियर के कई पर्यटन स्थलों में से एक स्पष्ट पसंद है। तानसेन मुग़लों के शासनकाल के दौरान हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ग्वालियर घराने के अग्रणी थे। वह सूफीवाद के प्रबल अनुयायी थे और अपने शिक्षक मुहम्मद गौस से राग सीखते थे। तानसेन को उसी परिसर में मुहम्मद गौस के नजदीक दफनाया गया था और यह परिसर तानसेन स्मारक के रूप में प्रसिद्ध है, जहां नवंबर और दिसंबर के महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है।
Famous For: Tansen was a prominent musician during Mughal era in India, and was amongst the Nav Ratna of Akbar Darbar.
Location: Gwalior, Tansen Nagar
Timings: 8AM to 6PM
Entry Fee: Free
7. Sun Temple
इस भव्य मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध उद्योगपति जीडी बिड़ला द्वारा वर्ष 1988 से शुरू हुआ है। मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित है और वास्तुकला कोणार्क में विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर से प्रेरित है। मंदिरों को घेरने वाले हरे-भरे बाग के साथ मूर्तियां और किनारों को नक्काशीदार और लाल बलुआ पत्थरों से तराशा गया है। ग्वालियर में भक्तों के लिए सूर्य मंदिर पवित्र स्थानों में से एक है। इसे देखने के लिए सूर्यास्त से पहले पहुंचना आवश्यक है।
Famous For: Architecture
Location: Fort Campus, Near Schiendhi School Gwalior Fort
Timings: 6AM to 5:30PM
Entry fee: INR 15 for Indians; INR 200 for foreign nationals. Ticket also covers entry to Sahastrabahu temple and Man Singh Palace
8. Tighra Dam
तिघरा बांध को ग्वालियर की लाइफलाइन का नाम दिया गया है, क्योंकि शहर की आधी आबादी को इसी डेम के पानी से पेयजल की सप्लाई की जाती है। इस बांध का निर्माण वर्ष 1916 में सांक नदी पर कराया गया था। इस डेम को देश के महान इंजीनियर भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने बनवाया था। तब से यह मीठे पानी का जलाशय शहरवासियों को उनकी दैनिक पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी के प्रमुख स्रोत के रूप में कार्य करता है। यह पिकनिक करने वालों के लिए एक शानदार स्थान के रूप में कार्य करता है जहां जलपरी नौका विहार, पैडल बोटिंग, स्पीड बोटिंग और यहां तक कि वाटर स्कूटर राइड्स जैसे विभिन्न प्रकार की नाव की सवारी का आनंद लिया जा सकता है।
Famous For: Boating
Location: Sank River, 23 km from Gwalior
Timings: 9 AM to 5 PM
Entry Fee: Free
Boating Fees: Speed Boat- INR 50 per person | Paddle Boat- INR 100 | Water Scooter- INR 350 | Jalpari Boat- INR 50
9. Zoo
मध्य प्रदेश में वन्यजीवों की खोज के लिए ग्वालियर चिड़ियाघर का दौरा करना सबसे अच्छा स्थानों में से एक है। यदि आप जंगल सफारी साहसिक कार्य नहीं करना चाहते हैं, तो यह पूरे परिवार के साथ घूमने के लिए सबसे सुविधाजनक जगह है। आप तेंदुए से लेकर चिड़ियाघर के घर, काले हिरन से लेकर विदेशी जानवरों तक की एक विस्तृत श्रृंखला देख सकते हैं। चिड़ियाघर में विभिन्न प्रकार के विदेशी पक्षी और सांप भी हैं, जो इसे वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए बहुत मजेदार जगह बनाते हैं। हालांकि मुख्य आकर्षण में सफेद बाघ, शुतुरमुर्ग, हिप्पो शामिल हैं। यह जू 8 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला है। ग्वालियर चिड़ियाघर की स्थापना वर्ष 1922 में माधव राव सिंधिया परिवार द्वारा की गई थी। यह फूलबाग में संरक्षित क्षेत्रों में से एक है जो नगर निगम ग्वालियर की देखरेख में है। चिड़ियाघर में हाइना, सांबर, बाइसन, गोल्डन पीजेंट, बंदर, चित्तीदार हिरण, काले हिरन, मगरमच्छ, सांप आदि जानवरों का एक विशाल संग्रह है।
Famous For: Exotic animals
Location: Lashkar, Gwalior
Timings: Morning- Saturday(Closed on Friday) | 9:15 AM to 5:30 PM
Entry Fee: Indian- INR 20 per adult | INR 5 per kid
10. Sarod ghar
यह संग्रहालय अपनी तरह का है और इसे कला वीथिका के नाम से भी जाना जाता है। ग्वालियर की यात्रा करने वाले संगीत प्रेमियों के लिए यहां आना एक सुखद अनुभूति देता है। यहां प्राचीन और आधुनिक दोनों संगीत वाद्ययंत्रों की एक विशिष्ट श्रेणियां हैं। संग्रहालय के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि यह संग्रहालय प्रसिद्ध भारतीय सरोद वादक उस्ताद हाफिज अली खान का पैतृक घर हुआ करता था। अब उनके बेटे अमजद अली खान और पौत्र अमान अली-अयान अली सरोद की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
Famous For: museum of classical indian music, with a collection of instruments,memoabilia & live performence
Location: Jiwaji Ganj, Gwalior
Timings: 10:00 AM to 4:00 PM
Entry Fee: INR 20 for Indians; INR 100 for foreign nationals.
11. Laximbai Samadhi
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य से रूबरू होना है, तो फूलबाग क्षेत्र में उनकी समाधि बनी हुई है। इतिहासकारों के मुताबिक सन् 1858 में अंग्रेजों ने झांसी पर आक्रमण किया, तो लक्ष्मीबाई अपने पुत्र दामोदरराव व अन्य साथियों के साथ बचकर निकलने में कामयाब हो गईं। उसके बाद उन्होंने पुनः सेना का गठन कर ग्वालियर के किले पर कब्जा कर लिया। अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते घायल रानी गंगादास की शाला पहुंचीं। यहां 18 जून 1858 को लक्ष्मीबाई शहीद हो गईं, लेकिन प्राण त्यागने से पहले उन्होंने शाला के संत गंगादास महाराज से कहा कि उनका पार्थिव शरीर अंग्रेजों को न मिले। ऐसे में उनके पार्थिव शरीर की रक्षा के लिए शाला के 745 संतों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी।
Famous For: Laxmibai Statue, Amar Jyoti
Location: Phool Bagh Complex, Gwalior, Madhya Pradesh
Timings: 24 Hours Open for Visitors.
Entry Fee: Free of Cost.
12. Gurudwara Data Bandi Chhod
गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ 6 वें सिख गुरु हरगोबिंद साहिब का स्मारक है। इतिहास के अनुसार मुगल राजा जहांगीर ने गुरु साहिब को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था। उन्हें लगभग दो साल तक कैद में रखा गया। उन्हें उनकी सैन्य गतिविधियों के लिए कैद किया गया था। जब उन्हें कैद से मुक्त किया गया, तो उन्होंने अपने साथ 52 अन्य कैदी राजाओं को छोड़ने की प्रार्थना की। जहांगीर ने आदेश दिया कि जितने लोग गुरु साहिब का अंगरखा पकड़कर निकल सकेंगे, उतने ही राजा छोड़े जाएंगे। कुछ किवदंतियों के मुताबिक अंगरखा इतना बड़ा हो गया कि सभी 52 राजा उसे पकड़कर जेल से बाहर आ गए, वहीं एक अन्य कथा के मुताबिक जेल से रिहा होने पर नया कपड़ा पहनने के नाम पर 52 कलियों का अंगरखा सिलवाया गया। गुरू जी ने उस अंगरखे को पहना और हर कली के छोर को 52 राजाओं ने थाम लिया। इस तरह सब राजा रिहा हो गए। बाद में गुरु हरगोबिंद सिंह की याद में 1968 में संत बाबा अमर सिंह जी ने गुरुद्वारे की स्थापना करवाई थी। करीब 100 किलो सोने का इस्तेमाल कर गुरुद्वारे का दरबार बनाया गया है।
Famous For: Worship, Peace & lungar
Location: Gwalior Fort, Gwalior, Madhya Pradesh
Timing: 10 AM to 10 PM on all days of the week.
Entry Fee: Free of cost.
13. Maharaj Bada
महाराज बाड़ा को शहर का दिल कहा जाता है। यहां अलग-अलग स्थापत्यकला की इमारतें देखने को मिलती हैं। इसे जयाजी चौक के नाम से भी जाना जाता है। जयाजी राव सिंधिया ने ग्वालियर में लोगों को विदेशी स्थापत्यकला से परिचय कराने के लिए ये इमारतें बनवाई थीं। महाराज बाड़ा के बिल्कुल बीचोंबीच स्थित है महाराज जयाजी राव सिंधिया की मूर्ति। इस मूर्ति को लंदन से लाकर यहां स्थापित करवाया गया था। इस कारण इसे जयाजी चौक के नाम से भी जाना जाता है। गोरखी को राजपूत और मराठी शैली के मिले-जुले रूप में बनाया गया है। यहां डाकघर की बिल्डिंग ग्रीक शैली में बनी हुई है। ऊंचे-ऊंचे खंभों पर खड़ी ये सफेद जगमग इमारत हमें ग्रीक या यूनानी सभ्यता की याद दिलाती है। डाकघर से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है एसबीआई बैंक की इमारत। इस इमारत का निर्माण ब्रिटिश शैली में किया गया है। ऊंचे-ऊंचे खंभों के बिल्कुल बड़ा सा प्रवेश द्वार बना है। एसबीआई बैंक की इमारत के बिल्कुल सामने वाली इमारत जिसे लोग एसबीआई एटीएम की इमारत के नाम से जानते हैं। ये इमारत देखने में बेहद साधारण है, जो रोमन शैली को दर्शाती है। इस इमारत से कुछ ही दूरी पर टाउन हॉल स्थित है। इस इमारत का निर्माण बलुआ पत्थर से फ्रेंच शैली में किया गया है। टाउन हाल से कुछ ही दूरी पर स्थित है सरकारी प्रेस। इस इमारत में इस्लामिक, इंडियन और पर्शियन शैली दिखाई देती है। महाराजबाड़ा की आखिरी इमारत विक्टोरिया मार्केट है। विक्टोरिया मार्केट का निर्माण इंडो-सेरेनिक शैली में किया गया है। इसमें मुगल, राजपूत, मराठा और ब्रिटिश, सेरेनिक आर्ट शामिल है।
Famous For: Local handicrafts, traditional handlooms, sweets
Location: Maharaja Bada, Gwalior
Timings: 10.00am to 09.30pm
Entry fee: NA
14. Mitawali & Padavali
ग्वालियर से 40 किमी दूर मुरैना जिले की ओर पड़ावली के पास मितावली गांव में चौंसठ योगिनी मंदिर बना हुआ है। 1323 ईस्वी के एक शिलालेख के मुताबिक इस मंदिर को कच्छप राजा देवपाल ने बनवाया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मंदिर को प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है। इसे एकट्टसो महादेव मंदिर भी कहा जाता है, लगभग 100 फीट ऊंची एक अलग पहाड़ी पर है। इस मंदिर का नामकरण इसके हर कक्ष में शिवलिंग की उपस्थिति के कारण किया गया है। यह गोलाकार मंदिर है भारत में गोलाकार मंदिरों की संख्या बहुत कम है यह उन मंदिरों में से एक है। यह बाहरी रूप से 170 फीट की त्रिज्या के साथ आकार में गोलाकार है और इसके आंतरिक भाग के भीतर 64 छोटे कक्ष हैं। मुख्य केंद्रीय मंदिर में स्लैब के आवरण हैं जो एक बड़े भूमिगत भंडारण के लिए वर्षा जल को संचित करने के लिए उनमें छिद्र हैं। छत से पाइप लाइन बारिश के पानी को स्टोरेज तक ले जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भारतीय संसद भवन की रचना इसी मंदिर के आर्किटेक्चर के आधार पर की गई है।
Famous For: Temples, Architecture
Location: Mitaoli & Padavali
Timings: 8AM to 6PM
Entry Fee: Free
15. Bateshwar
बटेश्वर मंदिर लगभग 200 बलुआ पत्थर मंदिरों का एक समूह है। यह ग्वालियर में देखने के लिए सबसे प्रतिष्ठित चीजों में से एक है, क्योंकि मंदिर की सुंदर वास्तुकला देखने लायक है। यहां अधिकतर छोटे मंदिर हैं और ये 25 एकड़ क्षेत्र में फैले हैं। भगवान शिव और विष्णु को समर्पित मंदिरों का निर्माण गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासनकाल के दौरान आठवीं से 10वीं शताब्दी के बीच किया गया था। वर्ष 2005 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इन मंदिरों को सहेजने का काम कर रहा है।
Famous For: Architecture
Location: Padavali Village, Morena
Timings: 9:30 AM to 5:30 PM
Entry Fee: Indian- INR 15 per person
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