ग्वालियर का गूजरी महल: राजा मान सिंह और रानी मृगनयनी के प्रेम की निशानी

राजा मानसिंह तोमर ग्वालियर के तोमर वंश के राजा थे। उन्होंने 1486 से 1516 तक शासन किया। अपने शासनकाल में उन्होंने कई जंग जीतीं एवं वे संगीत प्रेमी भी थे। तानसेन भी उनके दरबार के नवरत्नों में से एक थे।
एक बार राजा मानसिंह शिकार के लिए सांक नदी के किनारे स्थित राई गांव के जंगलों में गए थे। तब उन्होंने वहां एक लड़की को देखा। वह लड़की थी निन्नी जो राई गांव के गुर्जर परिवार में जन्मी थी। निन्नी बेहद ख़ूबसूरत होने के साथ-साथ बहुत ही साहसी थी। एक जंगली भैंसा जब गांव के बच्चे की तरफ हमला करने जा रहा था, तब निन्नी ने उस भैंसे के सींग पकड़ कर उसे रोक दिया। निन्नी की इस बहादुरी को देख मानसिंह उस पर मोहित हो गए। राजा ने उसी क्षण अपने मन में ठान लिया कि वह निन्नी को अपनी पटरानी बनाएंगे। उसके बाद मानसिंह ने निन्नी के बड़े भाई अटल से अपने और निन्नी के रिश्ते की बात की। निन्नी शादी के लिए मान गयी, लेकिन उसने राजा के सामने 3 शर्तें रखीं जिन्हें राजा ने ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार कर लिया और निन्नी को अपनी रानी बनाया। रानी की आंखें बहुत सुंदर एवं हिरण की तरह बड़ी-बड़ी थीं। इसलिए राजा ने उनका नाम मृगनयनी रख दिया और वे इसी नाम से प्रख्यात हो गईं।
ये थीं वे 3 अनोखी शर्तें:
रानी की पहली शर्त यह थी कि उसके लिए एक अलग महल बनाया जाए, जिसे पूरा करते हुए राजा ने ग्वालियर किले के बाहरी तरफ रानी के लिए महल बनवाया। रानी गुर्जर परिवार से थी, जिस कारण उन्हें सब गूजर रानी बोलते थे और उनके इसी नाम पर पड़ा उनके इस महल का नाम “गूजरी महल”।
रानी की दूसरी शर्त थी कि वह दूसरी रानियों की तरह चेहरा ढंककर महल में नहीं रहेंगी अथवा वह भी राजा के साथ युद्ध पर जाएंगी। राजा ने रानी की यह शर्त भी स्वीकार की। रानी मृगनयनी ने राजा मानसिंह के साथ कई लड़ाईयां भी लड़ीं और विजय प्राप्त की।
रानी की तीसरी शर्त ऐसी थी जो बहुत ही प्रसिद्ध है और जब भी राजा-रानी का जिक्र होता है इस शर्त की बात जरुर होती है। मृगनयनी ने अपनी तीसरी शर्त में राजा से मांगा कि उसकी सुंदरता का राज़ है सांक नदी का पानी तो महल में भी वे वही पानी पिएंगी। यह शर्त सुनकर राजा थोड़े चिंतित तो हुए कि 50 किलोमीटर दूर से इतनी ऊंचाई तक नदी का पानी कैसे आ सकता है, लेकिन मानसिंह, मृगनयनी से इतना प्यार करने लगे थे की रानी की यही शर्त भी उन्होंने ख़ुशी-ख़ुशी मान ली। उसके बाद राजा ने सांक नदी से गूजरी महल तक 50 किमी लम्बी पाइपलाइन डलवाई।
मानसिंह जब भी किले से बाहर जाते या आते थे, वे मृगनयनी से जरूर मिलते थे। रानी से मिलने में आसानी हो, इसलिए महल से एक सुरंग सीधे नीचे गूजरी महल तक बनाई गई थी। इसी सुरंग से होते हुए महाराजा मान सिंह रानी मृगनयनी से मिलने आया करते थे।
महाराजा मान सिंह तोमर और रानी मृगनयनी के प्रेम की निशानी है ग्वालियर किले पर वर्ष 1506 में बना गूजरी महल। वर्ष 1922 में पुरातत्व विभाग ने इस महल को संग्रहालय में बदल दिया। इसमें 28 गैलरी हैं, जिनमें लगभग 9000 कलाकृतियां हैं। यह गूजरी महल आज ग्वालियर किले का प्रमुख आकर्षण है और लाखों पर्यटक इसे देखने आते हैं।
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