ग्वालियर में भगवान शिव का वह मंदिर जिसका शिवलिंग कई हाथियों के बल से भी हिला नहीं
मध्यप्रदेश में भगवान शिव-शंभू के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां भक्त बड़ी आस्था से जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है ग्वालियर का अचलेश्वर मंदिर जिसकी एक अनोखी कहानी है। इस मंदिर को भगवान शिव की हठ का प्रतीक भी कहा जाता है और आज यहां दूर-दूर से लोग भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।
तक़रीबन 750 साल पहले जब यहां सिंधिया परिवार का राज हुआ करता था, तब अक्सर विजयदशमी के उपलक्ष्य पर सिंधिया राजा की शाही सवारी अपने महल से ग्वालियर भ्रमण पर निकलती थी और हर बार उनके रास्ते में एक पीपल का पेड़ आता था। बार-बार उस पेड़ के कारण रास्ता रुकने से एक दिन राजा बहुत परेशान हो गया और उसने अपने सैनिकों को उस पेड़ को वहां से हटाने का आदेश दिया। जब वहां पेड़ को हटाने के लिए खुदाई की गयी तो ज़मीन से एक शिवलिंग मिला। जब उस शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया गया, तब वह एक इंच भी नहीं हिला। फिर उस शिवलिंग को हटाने के लिए उसके चारों तरफ गहरी खुदाई की गई, लेकिन उसके बाद भी सैनिक उस शिवलिंग को हटा नहीं सके। जब राजा को यह बात पता चली, तब वह आश्चर्यचकित रह गए और उन्होंने शिवलिंग को हटाने के लिए हाथी भेजे। शिवलिंग को जंजीर से बांधकर हाथियों से खिंचवाया गया, मगर ज्यादा बल लगने के कारण ज़ंजीर भी टूट गईं लेकिन शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ। फिर एक रात भगवान शंकर राजा के सपने में आए और बताया कि अगर शिवलिंग खंडित हो गयी तो उसका सर्वनाश हो जाएगा। इसके बाद राजा ने पूरी आस्था से भगवान की पूजा कराई और उन्हें उसी चौराहे पर स्थापित करवा कर उनके लिए मंदिर बनवाया। आज उसे अचलनाथ मंदिर कहते हैं।
उसके बाद से वहां पर भक्तों की भीड़ लगने लगी और लोग दूर-दूर से बाबा अचलनाथ के दर्शन के लिए वहां पहुंचने लगे। भक्तों की मानें, तो यहां माथा टेकने वाले की हर मुराद पूरी होती है अथवा भक्तों की सभी परेशानियां दूर होती हैं। अक्सर सिंधिया परिवार के लोग भी यहां दर्शन के लिए आते हैं और शिव अभिषेक करवाते हैं। हर सोमवार को यहां बाबा के दर्शन के लिए हजारों भक्त पहुँचते हैं और भगवान पर बेलपत्र, दूध, जल एवं फूलों को अर्पित कर उनका अभिषेक करते हैं। बाबा अचलनाथ के मंदिर के पास ही एक भव्य मंदिर है जहां गणेश जी, राम-जानकी, बजरंगबली, नटराज, राधा-कृष्ण एवं माता मैया की सुन्दर प्रतिमाएं स्थापित हैं और लोग वहां भी दर्शन के लिए आते हैं।
शिवरात्रि के दिन यहां एक बड़ा सा मेला लगता है और भक्तों की भीड़ अर्धरात्रि से ही भगवान के दर्शन एवं अभिषेक कर उनका आशीर्वाद लेने के लिए लग जाती है। शिवरात्रि पर बाबा अचलनाथ का यह मंदिर कई तरह की सजावटों से जगमगा उठता है और विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है।
अचलेश्वर महाराज के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का कहना है कि उनकी कई मुरादें भोलेनाथ ने पूरी की हैं और जो कोई भी महादेव के दर्शन के लिए वहां पहुंचता है अथवा पूरी आस्था से माथा टेकता है, वह कभी खाली हाथ वापस नहीं लौटता।
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