बक्सवाहा में जहां निकाले जाने थे हीरे, वहां मिली हजारों साल पुरानी पेंटिंग और मूर्तियां

हाई कोर्ट व एनजीटी के निर्देश पर एसआई ने सौंपी सर्वे रिपोर्ट

<p>बक्सवाहा में जहां निकाले जाने थे हीरे, वहां मिली हजारों साल पुरानी पेंटिंग और मूर्तियां</p>

जबलपुर. मध्य प्रदेश के बक्सवाहा में विवादित हीरा खदान को लेकर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी एएसआई की चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। एएसआई की रिपोर्ट कहती है कि जहां खदान स्थापित की जानी है, वहां पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व की कई महत्वपूर्ण चीजें मिली हैं। हाई कोर्ट और एनजीटी के निर्देश पर एएसआई ने छतरपुर के बक्सवाहा में अपना सर्वे पूरा कर लिया है। एएसआई ने मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बक्सवाहा पर अपनी सर्वे रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बक्सवाहा में हजारों साल पुरानी 3 बड़ी रॉक पेंटिंग्स और कल्चुरीकालीन मूर्तियां पाई गईं। एएसआई को मिली पहली रॉक पेटिंग लाल रंग से बनाई गई है, जो आग की खोज से पहले की बताई जा रही है। एक दूसरी रॉक पेंटिंग पाषाण युग से मध्यकाल की है। ये लाल रंग और चारकोल से बनाई गई है, इसे आग की खोज के बाद का बताया जा रहा है। सर्वे में बक्सवाहा के गांवों में भगवान गणेश और हनुमान के अलावा चंदेल और कल्चुरीकालीन मूर्तियां भी मिली है,. इनकी तस्वीरों को सर्वे रिपोर्ट में शामिल किया गया है।

याचिकाकर्ता ने हीरा खदान को रद्द करने की मांग की
एएसआई की ये सर्वे रिपोर्ट एनजीटी और हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले पेश की जानी है.। राज्य सरकार ने छतरपुर जिले के बक्सवाहा में 364 हैक्टेयर वन क्षेत्र को हीरा खदान के लिए आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल मायनिंग कंपनी को सौंपा है। इसके खिलाफ हाई कोर्ट और एनजीटी में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि हीरा खदान से ढाई लाख से ज्यादा पेड़ों के कटने से पर्यावरण को अपूरणीय नुकसान होगा। वहीं बक्सवाहा में मौजूद पुरातात्विक महत्व की रॉक पेंटिंग्स भी नष्ट हो जाएंगी। याचिका में बक्सवाहा की विरासत को सहेजने और हीरा खदान की अनुमति रद्द करने की मांग की गई है।