क्यों ढोक लगाते हैं चम्बल के बाबा देवपुरी से गुजरने वाले सभी राहगीर?

<p><span style="color: #e03e2d;"><strong>क्यों ढोक लगाते हैं चम्बल के बाबा देवपुरी से गुजरने वाले सभी राहगीर?</strong></span></p>
<p><span style="color: #e03e2d;"><strong>क्यों ढोक लगाते हैं चम्बल के बाबा देवपुरी से गुजरने वाले सभी राहगीर?</strong></span></p>

ग्वालियर-आगरा हाईवे पर मुरैना से 18 किमी दूर धौलपुर रोड पर स्थित बाबा देवपुरी का मंदिर अनगिनत चमत्कारों का स्थल है। बाबा देवपुरी के बारे में कहा जाता है कि वे बचपन से ही चमत्कारी रहे थे। बचपन में आश्रम की गौशाला में उन्होंने अपनी शक्ति से गोबर की टोकरी को हवा में उड़ाकर अपने सिर पर रख लिया था। उनके इस चमत्कार को देख उनके गुरु ने उन्हें आश्रम से दूर चले जाने को कहा। तब बाबा देवपुरी ने खेड़ी गुलाम अली को अपनी साधना भूमि बनाया। यहां उन्होंने अनेक चमत्कार किए। कहा जाता है की एक बार जब उस गांव के लोग अल्पवर्षा के कारण अकाल से पीड़ित थे, तो उन्होंने बाबा से मदद की गुहार लगाई। बाबा ने अपने चमत्कार से गांव को बारिश से तर-बतर कर दिया। ऐसे ही उनकी एक और कहानी है जब एक गरीब आदमी की मदद करने के लिए बाबा ने उसे दर्शन देकर एक चांदी का सिक्का दिया और उसको बोला कि “यह चांदी का सिक्का रोज़ अपने तकिए के नीचे रख कर सोना। तुम्हे रोज़ एक चांदी का सिक्का मिलेगा, मगर इसके बारे में किसी को बताना नहीं। रोज़-रोज़ सिक्के मिलने का राज जब उस व्यक्ति की पत्नी ने पूछा, तो उसने अपनी पत्नी को पूरी बात बता दी और उसके बाद उस आदमी को कभी कोई सिक्का नहीं मिला। न ही उसे बाबा के दर्शन कभी दोबारा हुए।

बाबा देवपुरी के तीन भाई और थे, जिनमें से एक भाई बाबा नेतमपुरी ने उनके साथ ही ज़िन्दा समाधि ली थी। बाबा नेतमपुरी की समाधि चम्बल किनारे स्थित गांव खाड़ोली, जिला मुरैना में है। बाबा देवपुरी ने भी चंबल नदी के किनारे समाधि ली थी। उनकी मुख्य समाधि मंदिर से 1.5 किमी दूर चंबल के बीहड़ में है। कहा जाता है की उनकी समाधि पर लगे हुए पेड़ ना ही आजतक सूखे हैं न ही मुरझाए हैं।


ऐसे बनाया गया मंदिर
माना जाता है की चंबल के आसपास जब सिर्फ जंगल था, तब वहां से एक गाड़ी गुजर रही थी । वह गाड़ी अचानक खराब हो गई और उसका चालक उस जंगल में बिना खाना-पानी के फंस गया। तभी वहां से कुछ दूरी पर उसे एक बाबा के दर्शन हुए। उसने जब उन बाबा से मदद मांगी, तो बाबा ने न सिर्फ उस आदमी को खाना और पानी दिया बल्कि बाबा के चमत्कार से उस आदमी का गाड़ी भी सही हो गयी । जब उसने पीछे पलटकर देखा, तो बाबा उसे नहीं दिखे। उसके बाद उस आदमी ने बाबा की समाधि से कुछ दूरी पर बाबा का मंदिर बनवाया और तब से वहां से आने-जाने वाली हर गाड़ी बाबा के दर्शन के लिए रूकती है और हर व्यक्ति वहां माथा टेकता है, साथ ही खोये की बर्फी का भोग लगाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उसके रास्ते में आने वाली सारी बाधाएं दूर होंगी और बाबा का आशीर्वाद उस पर बना रहेगा।