बात है! यादाश्त की, ज़िम्मेदारी की, योगदानों की, लापरवाही की।

<p>बात है! यादाश्त की, ज़िम्मेदारी की, योगदानों की, लापरवाही की।</p>

एक तस्वीर हज़ार कहानियां कहती है। ये एक वाक़्या हमने कई दफा सुना है और पढ़ा है। मगर कुछ तस्वीरें कहनियाँ नहीं कहती, ये चीखती हैं उन आवाज़ों में जो उस समय काल में हमारे द्वारा महसूस की गयीं थी। जैसे की एक यह तस्वीर, जो आज से महज कुछ वर्षों पहले कैद की गई थी आज ही के दिन, उस दिन जब हर कोई अपने अपने घरों में एक घबराहट के साये में छुपा बैठा था, उस दिन जिस दिन त्राहिमान मचा हुआ था हमारे चरों ओर कभी अस्पताल में बेड के लिए तो कभी ऑक्सीजन के लिए, तो कहीं किसी घर में ख़त्म होते राशन के लिए। 

 

मगर आज अचानक से इस तस्वीर का क्या औचित्य है, क्यों हम अचानक से इसे यूँ देख रहे हैं।  कोरोना महामारी को तो समय बीत चुका है, अब इस बात को करने से क्या फर्क पड़ता है। तो आपको यह बता देते हैं कि कल बीते दिन हमारे शहर में कोरोना से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई। अब कोई कहेगा ये कोई पहली मृत्यु तो नहीं।  मगर बात इस मृतक की नहीं है, न बात उस तस्वीर की है, बात है! यादाश्त की, ज़िम्मेदारी की, योगदानों की, लापरवाही की।  बात है एक ऐसी कहानी की जिसने हमारी पूरी मानव सभ्यता को एक सीख दी, एक दर्द दिया एक ऐसा सबक समझाया जो आज हमारे लिए एक बेहतर भविष्य की नीव रखता है। आज सबमें से कोई भी इस बात का ज़िकर नहीं करता, इस बात को तवज्जो नहीं देता की क्या घटा और कैसे घटा और हमे अब आगे किस दिशा में बढ़ना चाइये कैसे खुद को व्यक्तिगत व एक समाज के रूप में बेहतर करना चाहिए। ताकि हम खड़े हो सके मज़बूती से फिर किसी एक ऐसी घडी में लड़ सकें बेहतर हालातों से फिर किसी एक ऐसे समय में, ताकि फिर किसी बच्चे के सर से उसके माता पिता का साया जुदा न हो, ताकि फिर कोई मजबूर मजदूर मीलों का सफर तय करने को खड़ा न हो, ताकि फिर कोई छोटा व्यापारी अपना व्यापार गवां कर बाजार में खड़ा न हो। 

फिर बढ़ते कोरोना मामलों के आंकड़ों से घबराएं नहीं, बस तैयार रहें यदि कल किसी किस्म कि कोई त्रासदी हमारे देश शहर या गांव का रुख करती है, तो उस संकट की घड़ी में हम तैयार रहें हर स्तर पर उस समस्या से एक सहज तरीके से लड़ने में। साथ ही हमारी और हमारी इन सरकारों की भी ये ज़िम्मेदारी बनती है की हम एक बेहतर चिकित्सा प्रणाली का निर्माण करें जो कई स्तर पर हमारे समाज का भार उठा सके और ऐसी किसी भी परिस्थिति में हमारे शहर के किसी भी सदस्य को मजबूर व बेबस होने से बचा सके। 

 

कोरोना में धरातल पर हुई वास्तविक गतिविधियों को दर्शाने के प्रयास हमारी टीम Gwalior Impact एक डॉक्यूमेंट्री Webseries Gwalior Corona Combat से पहले भी कर चुकी है।  अगर आप इससे और गहराई से समझना चाहते हैं तो आप हमारे इस प्रयास को भी देख सकते हैं, जिसकी लिंक आपको इसी आर्टिकल के साथ में मिल जाएगी। 

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अंत में आप सभी से यही एक गुज़ारिश है की एक बेहतर समाज बनने के लिए हम सब एक बेहतर व्यक्ति बनने की शुरुआत करते हैं, और सीखते हैं, इस तस्वीर से, उन लोगो से जो आज हमारे बीच नहीं रहे, हमारी गलतियों से, हमारी सफलताओं से, हमारे इतिहास से।