चंद्रयान-3 की लैंडिंग आज शाम 6:04 बजे पर टिकीं सभी की निगाहें

इसरो के चंद्रयान- 3 के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरते ही भारत चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच देगा। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल के बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के निकट सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। यदि चंद्रयान- 3 मिशन सफल रहता है तो भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला लैंडिंग सफल हुई तो अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, चीन के बाद चौथा देश होगा भारत।
दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं। लेकिन किसी देश ने चंद्रमा के द. ध्रुप पर लैंडिंग नहीं की है । इसकी प्रयास में रूस का लूना 25 हाल ही में क्रैश हुआ है। कुछ साल पहले ऐसी ही असफलता चंद्रयान-2 को भी मिली थी।
वो आखिरी 17 मिनट
■ सॉफ्ट-लैंडिंग की महत्वपूर्ण प्रक्रिया को इसरो के अधिकारियों सहित कई लोगों ने 17 मिनट का खौफ करार दिया है।
• लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया ऑटोमेटिक होगी, जिसके तहत लैंडर को अपने इंजन को सही समय और उचित ऊंचाई पर चालू करना होगा, उसे सही मात्रा में ईंधन का उपयोग करना होगा ।
■ नीचे उतरने से पहले यह पता लगाना होगा कि किसी प्रकार की बाधा या पहाडी क्षेत्र या गड्ढा नहीं हो । सभी मापदंडों की जांच करने और लैंडिंग का निर्णय लेने के बाद इसरो बेंगलुरु के निकट बयालालू में अपने भारतीय गहन अंतरिक्ष नेटवर्क (आईडीएसएन) से निर्धारित समय पर लैंडिंग से कुछ घंटे पहले सभी आवश्यक कमांड एलएम पर अपलोड करेगा।
सॉफ्ट लैंडिंग को टाला भी जा सकता है : लैंडर मॉड्यूल के तकनीकी मानक असामान्य पाए जाने की स्थिति में इसकी सॉफ्ट लैंडिंग 27 अगस्त तक के लिए टाली जा सकती है। इसरो अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई के अनुसार, वैज्ञानिकों का ध्यान चंद्रमा की सतह के ऊपर अंतरिक्ष यान की गति को कम करने पर होगा। लैंडर 23 अगस्त को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और उस समय इसकी गति 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी । हमारा ध्यान उस गति को कम करने पर होगा, क्योंकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण गति को बढ़ाएगा ।
सतह पर उतरने को लेकर उत्साहित हूं: सुनीता विलियम्स नेशनल ज्योग्राफिक इंडिया द्वारा साझा किए गए एक बयान में सुनीता विलियम्स (नासा की भारतवंशी एस्ट्रोनॉट) ने कहा कि वे वास्तव में रोमांचि अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्रमा पर स्थाई जीवन की खोज में सबसे आगे है। यह वास्तव में रोमांचक समय है । मिशन के परिणामों को लेकर अपने पूवार्नुमान व्यक्त करते विलियम्स ने कहा कि यह कदम चंद्रमा की संरचना और इतिहास की हमारी समझ को बढ़ाएगा ।
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