क्रिकेट के सटोरियों से 23 लाख रुपए की अड़ीबाजी करने वाले पुलिसकर्मियों की तलाश में पुलिस की चार टीम रवाना

<p><span>क्रिकेट के सटोरियों से 23 लाख रुपए की अड़ीबाजी करने वाले पुलिसकर्मियों की तलाश में पुलिस की चार टीम रवाना</span></p>

ग्वालियर में क्रिकेट के सटोरियों से 23 लाख रुपए की अड़ीबाजी करने वाले फरार तीनों पुलिस कर्मियों पर दस-दस हजार इनाम घोषित करने के बाद पुलिस के सामने इनको गिरफ्तार करने की चुनौती है, क्योंकि सभी आरोपी पुलिस कर्मी हैं और लंबे समय से क्राइम ब्रांच में रहे हैं। पुलिस की चार टीम उनकी तलाश में लगी हैं, जो ग्वालियर के साथ ही मुरैना और भिण्ड के साथ अन्य शहरों में दबिश दे रही हैं।

18 सितंबर की रात को गोला का मंदिर थाने में पदस्थ उप निरीक्षक मुकुल यादव को थाना सिरोल के अंतर्गत आने वाली एमके सिटी टाउनशिप के फ्लैट नंबर-105 में क्रिकेट पर सट्टा लगवाने की खबर मिली थी। एसआई ने इसकी सूचना क्राइम ब्रांच के प्रधान आरक्षक विकास तोमर और आरक्षक राहुल यादव को दी और दोनों को साथ लेकर वह एमके सिटी के फ्लैट पर पहुंच गया, बताया जाता है कि इनके साथ एक निजी व्यक्ति भी था। इन लोगों ने फ्लैट में घुसकर 15 सट्टेबाजों को पकड़ा था, तीनों पुलिसकर्मियों ने इन सटोरियों के पास से 10 हजार रुपये नगद व दो मोबाइल छीन लिए थे, जब पुलिस ने इनके मोबाइल देखे तो उसमें लाखों रुपये का हिसाब-किताब मिलते ही पुलिसकर्मियों की नीयत बदल गई और एसआई मुकुल यादव ने अपनी पिस्टल दिखाकर इन्हें धमकाया, उनसे खातों की जानकारी मांगी, पासवर्ड पूछे फिर दो खातों से 23 लाख 25 हजार रुपये दूसरे खातों में ट्रांसफर कर सिरोल थाना पुलिस को कार्रवाई के लिए सुपुर्द कर दिया था। तीनों पुलिसकर्मियों के द्वारा रात में हुई कार्रवाई की खबर तो पुलिस तक पहुंची लेकिन इसमें हुए खेल की जानकारी पुलिस को नहीं मिली, लेकिन सुबह होते ही यह खबर पुलिस के आला अफसरों तक पहुंच गई थी।

पुलिस के सामने तीनों फरार पुलिसकर्मियों को पकड़ने की चुनौती
बता दें कि पुलिसकर्मियों की इस करतूत से नाराज एसएसपी राजेश सिंह चंदेल ने क्राइम ब्रांच के डीएसपी शियाज केएम को इस मामले की जांच सौंपी थी। डीएसपी ने जांच की और तीन सटोरियों के दोबारा बयान लिए। बयान में तीनों पुलिसकर्मियों द्वारा उनसे 23.25 लाख रुपये हथियार की दम पर डरा धमकाकर वसूलने की पुष्टि हुई थी। तब से ही तीनों आरोपित पुलिसकर्मी फरार हो गए हैं जो अब तक पुलिस की पकड़ में नहीं आए हैं।