MP VIDHANSABHA ELECTIONS : कांग्रेस का गढ़ सेवड़ा के अंदर जनता चाहती युवा प्रतिनिधित्व, आगामी चुनाव में सेवड़ा पूछेगा विकास पर प्रश्न।

आगामी विधान सभा चुनाव को देखते हुए, सेवड़ा विधान सभा का एक चुनावी विश्लेषण।

<p><strong>MP VIDHANSABHA ELECTIONS : </strong><strong>कांग्रेस का गढ़ सेवड़ा के अंदर जनता चाहती युवा प्रतिनिधित्व, आगामी चुनाव में सेवड़ा पूछेगा विकास पर प्रश्न।</strong></p>
<p></p>

ग्वालियर: जब किसी राज्य या क्षेत्र में चुनाव आने को होते हैं सियासी चर्चाओं का बाजार गरम रहता है। कुछ यही हाल इन दिनों मध्य प्रदेश की सेवड़ा विधान सभा का भी है। 2018 के विशान सभा चुनावों में भाजपा के राधेलाल बघेल को 33268 वोटों से हरा कांग्रेस से घनश्याम सिंह सेवड़ा के विधायक चुने गए। पौराणिक मान्यता व धार्मिक महत्त्व रखने वाले सेवड़ा ने फिर एक बार विकास की ओर देखा। अपने भीतर पर्यटन व उद्योगिक छमताएँ रखने वाले सेवड़ा को फिर अपनी पहचान प्राप्ति से रहना पड़ा एक बार और वंचित।            

 

दतिया, ग्वलियर, ओरछा के बीच खो जाती है पहचान।

 

सिंध नदी के किनारे बसा प्राकृतिक व आध्यात्मिक महत्त्व रखने वाला सेवड़ा, एक सुन्दर धाम है। इस धाम को भारत के मौजूदा सारे धामों का भांजा भी कहा जाता है। सेवड़ा के पास सैलानियों के लिए नौका भ्रमण के साथ साथ पर्यटन हेतु ऐतिहासिक किला व अन्य स्मारकें भी है। इसके साथ साथ यहाँ की सांस्कृतिक व सामाजिक बनावट किसी भी बाहरी व्यक्ति के लिए एक अद्भुत अतुल्य अनुभव से कम नहीं है। यहाँ के बाज़ारों में बड़े उद्द्योग को स्थापित करने व संचालित करने का पूरा सामर्थ्य भी है। इतनी असीम विकास की संभावनाओं के बावजूद भी आज सेवड़ा को मध्य प्रदेश में अपनी एक पहचान प्राप्त नहीं हुई है। आज भी राज्य के इस चम्बल बुंदेलखंड क्षेत्र में ग्वालियर, दतिया व ओरछा जैसे पर्यटक स्थलों के बीच सेवड़ा अपनी एक पहचान नहीं स्थापित कर पाया है।

 

युवाओं के लिए रोजगार व्यापर हेतु अवसर।

 

क्षेत्र में कोई बड़ी औद्योगिक प्रणाली न होने के कारण, यहाँ के युवाओं को अपनी जीवनी हेतु या तो कृषि या फिर नौकरी हेतु किसी बड़े शहर का रुख करना पड़ता है। भिंड जिले में मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र, या ग्वालियर व दतिया जैसे शहरों में काम काज ढूंढने जाना पड़ता है। यहाँ की जनता को संसाधनों के अभावों के चलते, अपनी जीवनी व जीवन शैली का स्तर बढ़ाने हेतु एक वास्तविक संगर्ष करना पड़ता है। 

 

प्रतिनिधित्व का अभाव या सरकार की नज़रअंदाज़ी ?

 

अपनी बातों को आगे पहुंचाने हेतु , जनता हर पांच वर्षो में एक प्रतिनिधि का चयन करती है। जो अपने लोगों की आवाज़ बन उनकी ज़रुरत हेतु उचित कार्य कर अपने क्षेत्र को उसकी पहचान व बेहतर मानवीय विकास कर उस समाज को ऊपर उठता है। सेवड़ा की जनता पिछले कई विधानसभा चुनावों से इसी एक आस में अपने प्रतिनिधियों को चुनती आरही है, मगर आज भी धरातल पर विकास नाम मात्र ही देखा जाता है। पिछली विधानसभा में विजयी घनश्याम सिंह, जो दतिया के राज घराने से आते हैं, के द्वारा काम तो किये गए, मगर उनके द्वारा किये गए कार्यों 2का मूलभूत लाभ दतिया व दतिया विधानसभा से जुड़े क्षेत्रों को मिलता रहा है। फिर चाहे दतिया में एम्बुलेंस सेवा के अनावरण की बात को या इंदरगढ़ के पुराने पुल के बदलाव हेतु प्रयास। सेवड़ा के लिए किये गए कामों का हिसाब आज यहाँ की जनता साफ़ मांग रही है। इसी के चलते आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता एक युवा चेहरा देखने की भी बात कर रही है। ताकि सेवड़ा का विकास एक नयी व बेहतर सोच के साथ आने वाले आधुनिक भविष्य के तर्ज पर किया जा सके। इन्ही मुद्दों को नज़र रखते हुए आगमी चुनाव में पार्टियों के सेवड़ा के प्रति अपने रवैये व राजनैतिक रणनीतियों को देखना एक विशेष चर्चा का मुद्दा होगा।